• मार्को रुबियो ने दिलाया भरोसा, अमेरिका नाटो नहीं छोड़ेगा

    ब्रसेल्स में हो रही नाटो देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भरोसा दिलाया है कि उनका देश नाटो छोड़कर नहीं जाएगा. लेकिन उन्होंने कुछ कड़ी मांगें रखी हैं

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    ब्रसेल्स में हो रही नाटो देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भरोसा दिलाया है कि उनका देश नाटो छोड़कर नहीं जाएगा. लेकिन उन्होंने कुछ कड़ी मांगें रखी हैं.

    नाटो के विदेश मंत्री ब्रसेल्स में दो दिनों की बैठक कर रहे हैं. चर्चा का मुख्य मुद्दा सुरक्षा खर्च बढ़ाना और रूस के बढ़ते खतरे से निपटना है. अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने नाटो के सभी सदस्य देशों से रक्षा खर्च बढ़ाने की मांग की है. उनका कहना है कि सभी देशों को अपनी जीडीपी का 5 प्रतिशत रक्षा पर खर्च करना चाहिए. यह नाटो के मौजूदा 2 फीसदी के लक्ष्य के दोगुने से भी ज्यादा है.

    अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो पहली बार नाटो की बैठक में शामिल हुए. उन्होंने ट्रंप की मांग को दोहराया. उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि सभी देश इस रास्ते पर चलें कि वे अपनी जीडीपी का 5 फीसदी रक्षा पर खर्च करने का वादा पूरा करें.” रूबियो ने यह भी माना कि ऐसा करने में समय लगेगा. 2024 में अमेरिका ने अपनी जीडीपी का 2.7 फीसदी रक्षा पर खर्च किया था.

    रुबियो ने अमेरिका के नाटो को छोड़ने की अटकलों को खारिज कर दिया. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अमेरिका नाटो का हिस्सा बना रहेगा. हालांकि, उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि नाटो देशों को अपने रक्षा बजट को 5 फीसदी तक बढ़ाना चाहिए. कई नाटो देशों के लिए यह एक मुश्किल लक्ष्य है, लेकिन रुबियो ने कहा कि अमेरिका प्रगति देखना चाहता है. रुबियो ने कहा, "हम जानते हैं कि ये आसान नहीं है. लेकिन हमें भरोसा चाहिए कि सभी देश धीरे-धीरे उस लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं.”

    रुबियो के बयान से यूरोपीय नेताओं की उन चिंताओं को राहत मिली है कि अमेरिकी नाटो से बाहर जा सकता है. बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में हो रही बैठक के दौरान जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने रुबियो के बयान का स्वागत किया. उन्होंने कहा, "रुबियो का आश्वासन कि अमेरिका नाटो का हिस्सा बना रहेगा, बहुत महत्वपूर्ण है." उन्होंने आगे कहा कि यूरोपीय देशों ने भी यह स्पष्ट किया है कि नाटो यूरोप में शांति बनाए रखने के लिए एकजुट और दृढ़ है. उन्होंने कहा कि ट्रंप की मांग को पूरी तरह मानना मुश्किल है, लेकिन नाटो देश इसे लेकर गंभीरता से विचार कर रहे हैं.

    खर्च बढ़ाने पर बहस

    जर्मनी की विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि नाटो देश अपनी जीडीपी का 3 फीसदी से ज्यादा रक्षा पर खर्च करने के रास्ते पर हैं. लेकिन ट्रंप का 5 फीसदी का टारगेट अभी भी चुनौतीपूर्ण है. उन्होंने कहा कि नाटो का अगला शिखर सम्मेलन द हेग में होगा और उसमें इस मुद्दे पर और चर्चा होगी.

    बेयरबॉक ने कहा, "यह कोई ऐसा लक्ष्य नहीं है जिसे एक रात में हासिल किया जा सकता है. लेकिन यह जरूरी है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ें.” उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय देशों को यह दिखाना होगा कि वे नाटो की सुरक्षा में अपना हिस्सा निभा रहे हैं.

    यूक्रेन संकट पर बात करते हुए यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काया कैलस ने कहा, "हम आश्वस्त हैं कि अमेरिका रूस के साथ बातचीत में यूक्रेन और यूरोप की स्थिति का सम्मान करेगा.” कैलस ने कहा कि अमेरिका ने रूस के साथ बातचीत में कोई ऐसी रियायत नहीं देने का वादा किया है जो यूरोपीय हितों के खिलाफ हो.

    यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच नाटो देशों का यह प्रयास है कि उनकी सुरक्षा रणनीतियां स्पष्ट और सामूहिक हों. नाटो महासचिव मार्क रुटे ने कहा कि नाटो देशों को अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा, "रूस ने जो खतरा पैदा किया है, उससे निपटने के लिए हमें सामूहिक सुरक्षा की जरूरत है. नाटो को मजबूत बनाना अब पहले से ज्यादा जरूरी हो गया है.”

    नाटो की एकता का भविष्य

    अभी नाटो के भीतर काफी असहमति है. अमेरिका यूरोप से ज्यादा खर्च करने की मांग कर रहा है लेकिन यूरोपीय देश इस पर अलग-अलग सोच रहे हैं. कुछ देश रुबियो के 5 फीसदी लक्ष्य को अव्यवहारिक मानते हैं, जबकि अन्य इसे सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक आवश्यक कदम मानते हैं.

    विश्लेषक राफेल लॉस ने जर्मन टीवी चैनल एआरडी से बातचीत में कहा, "यूक्रेन के अनुभव ने साफ कर दिया है कि नाटो को ऐसे रूस से निपटने के लिए तैयार रहना होगा जो अंतरराष्ट्रीय नियमों की परवाह नहीं करता.” उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक वित्तीय मुद्दा नहीं है, बल्कि सामरिक और नैतिक जिम्मेदारी का भी सवाल है.

    नाटो के मंत्री अभी भी विचार-विमर्श कर रहे हैं. असली सवाल यह है कि क्या नाटो एकता बनाए रख पाएगा या फिर अलग-अलग सुरक्षा रणनीतियों के कारण बिखर जाएगा. रुबियो की ओर से स्पष्ट संदेश है कि अमेरिका नाटो में बना रहेगा. लेकिन उसकी मांगें कड़ी हैं और विशेषज्ञों का मानना है कि यूरोपीय देशों को इसके जवाब में स्पष्ट दिशा दिखानी होगी. आने वाले महीनों में, द हेग में होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर और बहस होने की संभावना है.

     

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